मिथà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤® नाश वे को, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ वे को,
आपा पर à¤à¤¾à¤¸ वे को, à¤à¤¾à¤¨à¥ सीबखानी है॥
छहों दà¥à¤°à¤µà¥à¤¯ जान वे को, बनà¥à¤§ विधि मान वे को,
सà¥à¤µ पर पिछान वे को, परम पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¨à¥€ है॥
अनà¥à¤à¤µ बताठवे को, जीव के जताठवे को,
काहूं न सताय वे को, à¤à¤µà¥à¤¯ उर आनी है॥
जहां तहां तार वे को, पार के उतार वे को,
सà¥à¤– विसà¥à¤¤à¤¾à¤° वे को यही जिनवाणी है॥
जिनवाणी के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से सूà¤à¥‡à¤²à¥‹à¤•à¤¾à¤²à¥‹à¤•,
सो वाणी मसà¥à¤¤à¤• धरों, सदा देत हूं धोक॥
है जिनवाणी à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€, तोहि जपूं दिन रैन,
जो तेरी शरण गहैं, सो पावे सà¥à¤– चैन॥